Translate

टोक्यो ओलिंपिक से निराश भारतीय एथलीट पहुंचीं घर तो टूटा दुखों का पहाड़, मां ने छुपाकर रखी थी बहन की मौत की खबर

 टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympics 2020) खत्म होने के बाद लगभग सभी भारतीय खिलाड़ी देश वापस लौट आए हैं. एक बार फिर से ट्रेनिंग शुरू करने से पहले खिलाड़ी अपने परिवार के साथ समय बिता रहे हैं

 



एस धनलक्ष्मी तमिलनाडु की एथलीट है

टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympics) खत्म होने से पहले ही कई खिलाड़ी देश लौट चुके हैं. जहां कुछ के घर पर जीत का जश्न चल रहा है वहीं कुछ जगह मातम छाया हुआ है. भारतीय एथलीट एस धनलक्ष्मी (S Dhanalakshmi) के लिए टोक्यो ओलिंपिक अच्छा नहीं लेकिन घर वापसी पर उनके ऊपर इससे भी बड़ा पहाड़ टूट पड़ा. धनलक्ष्मी शनिवार को घर लौटी और वहां पहुंचते ही उनके परिवार ने उन्हें उनकी बहन की मौत की बारे में बताया जिसके बाद धनलक्ष्मी को संभालना मुश्किल हो गया था.

धनलक्ष्मी ने राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनआईएस), पटियाला में पी.टी. 200 मीटर हीट्स में उषा का रिकॉर्ड और 100 मीटर में दुती चंद के खिलाफ गोल्ड भी जीता था. 100 मीटर में, उन्होंने 11.39 सेकंड के समय के साथ गोल्ड मेडल जीता था, और 200 मीटर में, उसने 23.26 सेकंड के समय के साथ एक नया रिकॉर्ड बनाया, जिसने 23 साल पहले उषा के 23.30 सेकंड के रिकॉर्ड को तोड़ दिया.

 बहन की मौत की बात सुन रो पड़ीं धनलक्ष्मी

अपनी टीम की साथी शुभा वेंकटरमन के साथ धनलक्ष्नी तिरुचिरापल्ली पहुंचीं. वह मीडिया से अपने टोक्यो ओलिंपिक के अनुभव के बारे में बात कर रही थी कि अचानक जोर-जोर से रोने लगी. दरअसल जब धनलक्ष्मी घर पहुंची तब उन्हें अपनी बहन के बारे में उसे सूचित किया गया. बहन ने उनके करियर में बड़ी सहायता की थीं. धनलक्ष्मी घुटनों के बल बैठ गईं और चेहरा हाथों में लेकर रो पड़ीं. स्प्रिंटर ने अपने पिता शेखर को अपने जीवन में जल्द ही खो दिया था और यह उनकी मां उषा, एक किसान थीं, जिन्होंने पाला था.

पिता को भी खो चुकी हैं धनलक्ष्मी

धनलक्ष्मी को तमिलनाडु से एथलेटिक्स में एक उभरता हुआ चेहरा माना जाता है. ऐसे में उनकी मां ऊषा और परिवार के अन्य सदस्यों को ओलिंपिक में भाग लेने और खेलने का मतलब पता था. वह नहीं चाहते थे कि धनलक्ष्मी का ध्यान खेल से भटके. इसी कारण उन्होंने यह बात धनलक्ष्मी से छुपाई रखी. हालांकि जब धनलक्ष्मी को इस बारे में पता चला तो नीचे बैठकर रोने लगी. परिवार वालों के लिए उन्हें संभालना मुश्किल हो गया था.  धनलक्ष्मी शुरुआती दिनों में खो-खो खिलाड़ी थीं और स्कूल में एक शारीरिक शिक्षा शिक्षक ने उन्हें स्प्रिंट पर स्विच करने का सुझाव दिया और उन्होंने भारतीय रेलवे एथलीट के तौर पर ट्रेनिंग की

 

Post a Comment

0 Comments