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Kaam Ki Baat: नौकरी छोड़ने के बाद बकाया वेतन के लिए दौड़ा रही है कंपनी, तो भेजें नोटिस, जानें अपने कानूनी हक


Non-Payment Of Salary In India: नौकरी छोड़ने के बाद बकाया वेतन मांगने (Full and Final Settlement) का हक केवल कर्मचारी को नहीं बल्कि परिवार या उत्तराधिकारी (Legal Heir) को भी होता है.

How To Recover Unpaid Salary In India: अगर आपको नौकरी छोड़ने को तीन महीने से ज्यादा बीत गए हैं लेकिन कंपनी की ओर से अभी तक आपको बकाया वेतन, ग्रैचुइटी (Gratuity), बची छुट्टी के पैसे (Earned Leave), प्रोविडेंट फंड (Provident Fund Transfer) आदि, जिनका उल्लेख आपके कॉन्ट्रैक्ट में है, नहीं मिलता है तो आप कानूनी प्रक्रिया के तहत कंपनी से इसकी मांग कर सकते हैं. यहीं नहीं, आप बकाया वेतन के साथ-साथ जितने दिन तक वेतन रोकी गई, उतने वक्त तक का सूद भी कंपनी से डिमांड कर सकते हैं. लेकिन इस काम को करने से पहले बेहतर होगा कि आप कंपनी के मैनेजमेंट से विनम्रता से अपने स्तर से बात करें.
अगर आपकी अपील पर भी बात नहीं बनी, तो आप इस तरह कानून का रास्ता अपनाकर हक मांग सकते हैं-

1. कंपनी को कानूनी नोटिस भेजें: एक अच्छे वकील के माध्यम से कंपनी को नोटिस भेजें. नोटिस के साथ कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट, बैंक स्टेटमेंट , नोटिस हमेशा डाक से भेजें ताकि आपके पास इसका रिकॉर्ड रहे जो भविष्य में सबूत के रूप में काम आ सकता है. नोटिस में इन कानूनों का जिक्र भी करें

ग्रैजुइटी (Gratuity): अगर आपने संस्थान में 10 साल या उससे ज्यादा वक्त तक काम किया तो आप ग्रैजुइटी के भी हकदार होंगे. कानून (Payments of Gratuity Act) के अंतर्गत संस्थान छोड़ने के 30 दिन के अंदर आपको इसकी राशि का भुगतान मिल जाना चाहिए.

प्रोविडेंट फंड (Provident Fund): अगर आप किसी अन्य कंपनी में नौकरी नहीं करने वाले और अपना पीएफ का पूरा पैसा चाहते हैं तो नोटिस में इसका जिक्र भी जरूर करें.

नोटिस में बकाया राशि के भुगतान के लिए समय सीमा भी निर्धारित करें. वैसे, अधिकतर मामलों में कानूनी नोटिस के बाद ही कर्मियों की समस्या का हल हो जाता है. लेकिन अगर नोटिस भेजने के बाद भी आपको बकाया वेतन नहीं मिलता है तो आप आगे बढ़ें.

2. श्रम आयुक्त (Labour Commissioner) के पास आवेदन करें: नोटिस भेजने के बाद भी कंपनी की ओर से कार्रवाई नहीं हुई तो श्रमायुक्त की मदद ले सकते हैं. यहां आवेदन के साथ कंपनी को भेजे नोटिस की कॉपी भी भेजें.

3. श्रम अदालत जाएं: अगर आपको श्रमायुक्त के स्तर से न्याय नहीं मिला तो आप सीधे श्रम अदालत में इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट, 1947 (Industrial Disputes Act) के अंतर्गत कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर कर सकते हैं. जिस तारीख से आपकी तनख्वाह बकाया है उस तारीख के सालभर के अंदर ही श्रम अदालत में अर्जी दे देनी होगी. श्रम अदालत में तीन महीने के अंदर आपके केस की सुनवाई की जाएगी. अगर आप किसी इंडस्ट्री, निकाय, क्लब, अस्पताल आदि में काम नहीं करते या आपकी कंपनी कानून में परिभाषित "इंडस्ट्री" की श्रेणी में नहीं आती तो आप सीधे सिविल कोर्ट का रुख करें.

4. सिविल कोर्ट (Civil Court) में केस करें:  अगर आप कंपनी में मैनेजमेंट या एडमिनिस्ट्रेटिव पद पर नियुक्त थे तो आप सिविल प्रोसिड्योर कोड (Civil Procedure Code, 1908) के अंतर्गत कोर्ट में केस कर सकते हैं. इस स्तर पर आपके मामले की सुनवाई होगी और कोर्ट के स्तर से फैसला लिया जाएगा.

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