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उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने दिया इस्तीफा, जानें वजह💐

उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने दिया इस्तीफा, जानें वजह💐


उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 08 सितंबर 2021 को पद से इस्तीफा दे दिया है. राजभवन के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि राज्यपाल ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दिया है. उन्होंने बताया कि राज्यपाल ने व्यक्तिगत कारणों के चलते इस्तीफा दिया है.




बेबी रानी मौर्य दो दिन पहले नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलीं थीं. बेबी रानी के इस्तीफे के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि उनको यूपी में बीजेपी कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. इस इस्तीफे के साथ ही राज्य का आठवें राज्यपाल को लेकर इंतजार बढ़ गया है.


उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं. कयास ये भी हैं कि उत्तर प्रदेश की सियासत में वह सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं. भाजपा चुनाव के मद्देनजर उन्हें नई जिम्मेदारी सौंप सकती है.


बेबी रानी मौर्य के बारे में

बेबी रानी मौर्य ने 26 अगस्त 2018 को उत्तराखंड के राज्यपाल पद की शपथ ली थी. उन्होंने तत्कालीन राज्यपाल केके पॉल की जगह ली थी. वे इससे पहले उत्तर प्रदेश के आगरा में मेयर भी रही हैं. दलित नेता बेबी रानी मौर्य 2007 में यूपी विधानसभा चुनाव में एतमादपुर सीट से लड़ी थीं और जीत भी दर्ज की थी.


रानी मौर्य उत्तराखंड की दूसरी महिला गवर्नर थीं. इससे पहले, मार्गरेट अल्वा अगस्त 2009 से मई 2012 तक उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं. मौर्य का जन्म 15 अगस्त 1956 को हुआ था.


पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव

बता दें कि अगले साल उत्तराखंड, यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसी कड़ी में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के लिए अपने प्रभारियों और सह प्रभारियों के नाम का ऐलान कर दिया. धर्मेंद्र प्रधान (यूपी), प्रल्हाद जोशी (उत्तराखंड), गजेंद्र सिंह शेखावत (पंजाब), भूपेंद्र यादव (मणिपुर), देवेंद्र फडनवीस (गोवा) को प्रभारी बनाया गया है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने क्षेत्र के हिसाब से भी प्रभारियों की नियुक्ति की है.




💐UN एजेंसी का बड़ा बयान, 50 वर्षों में मौसम की आपदाएं बढीं पांच गुना, इनकी आवृत्ति और नुकसान में भी हुआ इजाफा💐


संयुक्त राष्ट्र ने यह चेतावनी दी है कि, पिछली आधी सदी में मौसम संबंधी आपदाओं में वृद्धि हुई है और इससे कहीं अधिक नुकसान हुआ है, जबकि लगातार बेहतर होती चेतावनी प्रणालियों के कारण मौतों में कमी आई है.




संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की एक रिपोर्ट ने वर्ष, 1970 और वर्ष, 2019 के बीच मौसम, जलवायु और पानी की चरम सीमा (सुनामी, तूफ़ान और बाढ़) से होने वाले आर्थिक नुकसान और मृत्यु दर की जांच की है.


संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की इस रिपोर्ट में यह उल्लिखित किया गया है कि, पिछले 50 वर्षों की समयावधि में प्राकृतिक आपदाओं में पांच गुना वृद्धि हुई है और ये परिवर्तन बड़े पैमाने पर हमारे निरंतर गर्म होने वाले ग्रह द्वारा संचालित किए गए हैं.


वर्ष, 1970 के बाद से बढ़ी मौसम संबंधी आपदाएं: संयुक्त राष्ट्र के अध्ययन के मुख्य बिंदु

• WMO के महासचिव, पेटेरी तालस ने यह कहा है कि, जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप दुनिया के कई हिस्सों में मौसम, जलवायु और जल चरम की संख्या लगातार बढ़ रही है और दुनिया के कई अन्य हिस्सों में ये घटनाएं लगातार और गंभीर होती जा रही है. 

• औसतन, पिछले 50 वर्षों में, जलवायु, मौसम और पानी की चरम सीमाओं से जुड़ी एक आपदा हर दिन हुई है, जिसमें 115 लोग मारे गए हैं और 202 मिलियन डॉलर का दैनिक नुकसान नुकसान हुआ है. 

• मानव जीवन के सबसे बड़े नुकसान के लिए सूखा जिम्मेदार रहा है. इसमें लगभग 6,50,000 लोगों की मौत हुई है, जबकि तूफानों में 5,77,000 लोग मारे गए हैं.

• इसी तरह, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 50 वर्षों में बाढ़ ने लगभग 59,000 लोगों की जान ले ली है और अत्यधिक तापमान में 56,000 के करीब लोग मारे गए हैं.


मौसम संबंधी आपदाओं के कारण होने वाली मौतों में आई है लगभग तीन गुना गिरावट


इस रिपोर्ट में, एक सकारात्मक नोट के मुताबिक, यह पाया गया है कि, इस पिछली आधी सदी में जलवायु और मौसम संबंधी आपदाओं में लगातार वृद्धि हुई है, लेकिन मौतों की संख्या में तीन गुना गिरावट आई है.


यह संख्या वर्ष, 1970 के दशक में हर साल 50,000 से अधिक मौतों से गिरकर वर्ष, 2010 में 20,000 से कम हो गई है.


WMO के अनुसार, जबकि वर्ष, 1970 और वर्ष, 1980 में प्रतिदिन औसतन 170 संबंधित मौतें हुई हैं, वर्ष, 1990 के दशक में ऐसी मौतों का दैनिक औसत गिरकर 90 और फिर वर्ष, 2010 में 40 हो गया.


आपदा जोखिम में इस कमी के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के प्रमुख मामी मिजुटोरी ने भी इन बेहतर प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के जीवन-बचाव प्रभाव की सराहना की है.


प्राकृतिक आपदाओं की यह विकट समस्या अभी है जारी, लाने होंगे जरुरी बदलाव

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने हालांकि इस बात पर जोर देकर यह कहा है कि, अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के 193 सदस्य देशों में से केवल आधे ही ऐसे देश हैं जो वर्तमान में जीवन रक्षक बहु-खतरा पूर्व-चेतावनी प्रणाली का इस्तेमाल कर रहे हैं.


संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने अफ्रीका, प्रशांत और कैरेबियाई द्वीप राज्यों और लैटिन अमेरिका के कुछ हिस्सों में मौसम और हाइड्रोलॉजिकल ऑब्जर्विंग नेटवर्क में गंभीर अंतराल के बारे में भी चेतावनी दी है.


मौसम संबंधी आपदाओं की बढ़ रही है लागत भी

वर्ष, 2010 से वर्ष, 2019 तक रिपोर्ट किया गया घाटा प्रति दिन 383 मिलियन डॉलर था जोकि वर्ष, 1970 के दशक में लगभग 49 मिलियन डॉलर से 07 गुना अधिक है.


पिछले 50 वर्षों के दौरान घटित हुई सबसे नुकसानदायक 10 आपदाओं में से 07 घटनायें वर्ष, 2005 के बाद से हुई हैं जिनमें से तीन प्राकृतिक आपदाएं केवल वर्ष, 2017 में घटी थीं: तूफान हार्वे- जिसने लगभग 97 अरब डॉलर का नुकसान किया था, इसके बाद मारिया तूफ़ान आया जिसने 70 अरब डॉलर और इरमा तूफ़ान ने लगभग 60 बिलियन डॉलर का नुकसान किया था.


राष्ट्रपति ने भारतीय नौसेना के विमानन विंग को प्रतिष्ठित प्रेसिडेंट कलर अवार्ड से किया सम्मानित


राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गोवा के पंजिम के पास स्थित INS हंसा बेस पर आयोजित एक औपचारिक परेड में भारतीय नौसेना उड्डयन को राष्ट्रपति के रंग (President's Colour) से सम्मानित किया है। इस अवसर पर राष्ट्रपति को भारतीय नौसेना द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। राष्ट्रपति का रंग राष्ट्र के लिए असाधारण सेवा के सम्मान में एक सैन्य इकाई को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।


27 मई 1951 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा राष्ट्रपति के रंग से सम्मानित होने वाली भारतीय सशस्त्र बलों में भारतीय नौसेना पहली थी। नौसेना में राष्ट्रपति के रंग के बाद के प्राप्तकर्ताओं में दक्षिणी नौसेना कमान, पूर्वी नौसेना कमान, पश्चिमी नौसेना कमान, पूर्वी बेड़े, पश्चिमी बेड़े, पनडुब्बी शाखा, आईएनएस शिवाजी और भारतीय नौसेना अकादमी शामिल हैं।



इसरो: चंद्रयान-2 ने पूरी की चंद्रमा की 9,000 परिक्रमा, लगाया क्रोमियम और मैंगनीज का पता💐


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 06 सितंबर, 2021 को यह कहा था कि, उसके चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा के चारों ओर अपनी 9,000 परिक्रमाएं पूरी कर ली हैं. इसरो के अधिकारियों ने यह भी बताया कि, इस अंतरिक्ष यान ने सुदूर संवेदन के माध्यम से मैंगनीज और क्रोमियम के अल्प तत्वों का पता लगाया है.



इसरो प्रमुख के. सिवन ने 22 जुलाई, 2019 को लॉन्च किए गए चंद्रयान -2 के 02 साल पूरे होने पर दो दिवसीय चंद्र विज्ञान कार्यशाला में यह कहा कि, इस दूसरे चंद्रमा मिशन का डाटा राष्ट्रीय संपत्ति है.


चंद्रयान-2 ने लगाया क्रोमियम और मैंगनीज का पता

इस कार्यशाला के दौरान एक सत्र में चंद्रयान -2 लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (CLASS) के पेलोड परिणामों पर चर्चा हुई, जो एल्यूमीनियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सिलिकॉन, लोहा, टाइटेनियम और सोडियम जैसे प्रमुख तत्वों की उपस्थिति की जांच के लिए चंद्रमा के एक्स रे फ्लोरोसेंस (XRF) स्पेक्ट्रा को मापता है.


यह खोज स्पष्ट रूप से आश्चर्यचकित करने वाली थी क्योंकि ये तत्व चंद्रमा पर एक प्रतिशत से भी कम वजन के हैं.


तीव्र सौर अग्नि की घटनाओं के दौरान कुछ स्थानों पर दो तत्वों, क्रोमियम और मैंगनीज का भी पता चला था. अब तक, चंद्रमा की सतह पर इन तत्वों की उपस्थिति केवल मिट्टी के नमूनों के माध्यम से पता चली थी जो चंद्रयान -2 से पहले के मिशनों के दौरान एकत्र किए गए थे.


इसरो के इस बयान के अनुसार, चंद्रयान -2 के आठ पेलोड रिमोट सेंसिंग और इन-सिचू तकनीकों द्वारा चंद्रमा का वैज्ञानिक अवलोकन कर रहे हैं.


CLASS द्वारा खोजे गए अन्य तत्व

नरेंद्रनाथ के अनुसार, CLASS सभी प्रमुख तत्वों से प्रत्यक्ष तात्विक बहुतायत का पहला सेट प्राप्त करने में भी कामयाब रहा है. ये सभी तत्व चंद्र सतह का 99% से अधिक हिस्सा बनाते हैं. चंद्रमा पर जिन तत्वों का पता लगाया गया है उनमें एल्यूमीनियम, ऑक्सीजन, कैल्शियम, सिलिकॉन, लोहा और टाइटेनियम शामिल हैं.


चंद्रयान-2 से प्राप्त नया डाटा है महत्वपूर्ण

के. सिवन ने इसरो मुख्यालय से बोलते हुए यह भी कहा कि, चंद्रयान -2 आंतरिक सौर मंडल के विकास को समझने में हमारी मदद करने में सक्षम होगा क्योंकि चंद्रमा जो एक वायुहीन आकाशीय पिंड है, उसमें सौर मंडल के प्रारंभिक वर्षों में हुई घटनाओं के प्रमाण संरक्षित हैं.


चंद्रयान -2 ऑर्बिटर पेलोड डाटा वेबसाइट pradan.issdc.gov.in के माध्यम से सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है. समय के साथ विभिन्न पेलोड्स द्वारा अधिग्रहित किए जाने पर यहां अन्य डाटा सेट भी जोड़े जाएंगे.


भारत का दूसरा चंद्र अभियान: चंद्रयान-2

चंद्रयान -2 दूसरा चंद्र मिशन था जिसे इसरो द्वारा चंद्रयान -1 के बाद विकसित किया गया था.


चंद्रयान -2 अपनी सॉफ्ट लैंडिंग में विफल रहा था और इसने लैंडर और रोवर के साथ-साथ पांच संबंधित पेलोड को खो दिया था.



💐तालिबान ने अफगानिस्तान में कार्यवाहक सरकार का ऐलान किया, जानें विस्तार से💐


तालिबान ने अफगानिस्तान में नई सरकार की घोषणा कर दी है, लेकिन ये एक "कार्यवाहक सरकार" होगी. मुल्ला हसन अखुंद अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार का नेतृत्व करेंगे. तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने 07 सितंबर को शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नई कार्यवाहक सरकार की घोषणा की.



तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि तालिबान के संस्थापकों में से एक मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद सरकार के मुखिया यानी प्रधानमंत्री होंगे और मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर उप प्रधानमंत्री होंगे. मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर तालिबान के सह संस्थापक हैं.


अफगानिस्तान की नई कार्यवाहक सरकार

मुल्ला अब्दुल सलाम हनफी को भी उप प्रधानमंत्री बनाया गया है. अखुंद की अगुवाई में गठित होने वाली सरकार में मुल्ला याकूब रक्षा मंत्री होंगे और सिराजुद्दीन हक्कानी गृह मंत्री होंगे. अंतरिम सरकार में रक्षा मंत्री बनाए गए याकूब तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे हैं. आमिर ख़ान मुत्तक़ी को विदेश मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है. बता दे की इस सरकार में कोई महिला मंत्री नहीं है.


दो डिप्टी पीएम

तालिबान की नई सरकार में दो उप-प्रधानमंत्री होंगे. मुल्ला बरादर के अतिरिक्त मुल्ला अब्दुल सलाम हंफू भी उप प्रधानमंत्री होंगे.


मोहम्मद हसन अखुंद कौन हैं?

मोहम्मद हसन अखुंद तालिबान के संस्थापकों में से एक हैं. अफगानिस्तान में तालिबान की पिछली सरकार (1996-2001) के दौरान वो गवर्नर और मंत्री रह चुके हैं. वे तालिबान के संस्थापक और पूर्व सुप्रीम लीडर मुल्ला उमर के सलाहकार थे.


प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए हसन अखुंद कंधार से ताल्लुक रखते हैं और तालिबान के संस्थापकों में से हैं. उन्होंने 'रहबरी शूरा' के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया और मुल्ला हिबातुल्ला के करीब माने जाते हैं. उन्होंने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की पिछली सरकार के दौरान विदेश मंत्री और उप प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया था.


काबुल पर कब्ज़ा: एक नजर में

तालिबान ने बीते 15 अगस्त को काबुल पर कब्ज़ा किया था. तालिबान के नेता बीते कुछ दिन से जानकारी दे रहे थे कि वो सरकार गठन के लिए बातचीत कर रहे हैं. अंतरिम मंत्रिमंडल के घोषणा को तालिबान सरकार के गठन की दिशा में अहम कदम के तौर पर देखा जा रहा है.


तालिबान ने अफगानिस्तान में समावेशी सरकार के गठन का दावा किया था. तालिबान ने 06 सितंबर 2021 को पंजशीर पर कब्ज़े का घोषणा किया. अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने दुनिया को यह बार-बार भरोसा दिलाया था कि नई सरकार उदार होगी.



💐श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट की मुख्य कारण क्या है, जानें विस्तार से💐*


श्रीलंका इस समय बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. श्रीलंका सरकार ने बढ़ती खाद्य कीमतों, मुद्रा में गिरावट और तेजी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार के बीच पिछले सप्ताह आर्थिक आपातकाल की घोषणा की. श्रीलंका इन दिनों एक कठिन आर्थिक संकट के दौर से जूझ रहा है. देश की मुद्रा के मूल्य में भारी गिरावट आ गई है, जिसके कारण खाद्य कीमतों में भारी तेजी आ गई है.



श्रीलंका ने हाल ही में खाद्य संकट को लेकर आपातकाल का घोषणा किया है, क्योंकि प्राइवेट बैंकों के पास आयात के लिए विदेशी मुद्रा की कमी है. राष्ट्रपति राजपक्षे ने हाल ही में चावल और चीनी सहित आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी को रोकने के लिए सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के तहत आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी.


विदेशी मुद्रा की कमी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुनियादी ज़रूरत की वस्तुएं अचानक से बाज़ार से गायब होने लगी हैं. श्रीलंका की करेंसी भी रुपया कहलाती है. डॉलर के मुकाबले इसका मूल्य काफी नीचे गिर गया है. श्रीलंका ने खाद्य संकट को लेकर आपातकाल का घोषणा किया है, क्योंकि प्राइवेट बैंकों के पास आयात के लिए विदेशी मुद्रा की कमी है.


उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजपक्षे ने सेना के एक शीर्ष अधिकारी को धान, चावल, चीनी और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति के समन्वय के लिए आवश्यक सेवाओं के आयुक्त जनरल के रूप में नियुक्त किया है.


कीमतों में तेज वृद्धि

आपातकाल का ऐलान चीनी, चावल, प्याज और आलू की कीमतों में तेज वृद्धि के बाद उठाया गया है, जबकि दूध पाउडर, मिट्टी का तेल और रसोई गैस की कमी के कारण दुकानों के बाहर लंबी कतारें लगी हुई हैं. श्रीलंका सरकार ने खाद्य पदार्थों की जमाखोरी रोकने के लिए भारी जुर्माने का प्रावधान किया है.


कोरोना महामारी एक बड़ी कारण

असल में, श्रीलंका में 2020 में कोरोना महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड 3.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. सरकार ने पिछले साल मार्च में विदेशी मुद्रा को बचाने के लिए आवश्यक मसाला, खाद्य तेल और हल्दी सहित वाहनों और अन्य वस्तुओं के आयात पर रोक लगा दी. बैंक के आंकड़े बताते हैं कि श्रीलंका का विदेशी भंडार जुलाई के अंत में गिरकर 2.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो नवंबर 2019 में 7.5 अरब डॉलर था.


श्रीलंका की आर्थिक समस्याएं आंशिक रूप से कोविड-19 संकट के कारण हैं, जिसने पर्यटन को प्रभावित किया, जो विदेशी मुद्रा आय के प्राथमिक स्रोतों में से एक है. इसके बढ़ते विदेशी ऋण संकट को कई अर्थशास्त्रियों द्वारा स्थिति के मुख्य अंतर्निहित कारणों में से एक के रूप में देखा जाता है.


आर्थिक आपातकाल क्या होता है?

किसी भी देश के राष्ट्रपति की तरफ से धारा 360 के तहत आर्थिक आपातकाल की घोषणा तब की जाती है, जब उन्हें ऐसा लगता है कि देश में भारी आर्थिक संकट पैदा हो चुका है. यह सख्त कदम तब उठाया जाता है जब लगता है कि इस आर्थिक संकट के चलते देश के वित्तीय स्थायित्व को खतरा हो सकता है. कोई भी सरकार इतना सख्त कदम उठाने को तब मजबूर हो जाती है जब आर्थिक स्थिति बदतर होने की वजह से सरकार दिवालिया होने के कगार पर पहुंच जाती है.


आपातकाल दो तरह के होते हैं. पहला आर्थिक आपातकाल और दूसरा राष्ट्रीय आपतकाल. राष्ट्रीय आपतकाल तब लगाया जाता है जब युद्ध के हालात हो जाते हैं या फिर विद्रोह बहुत अधिक बढ़ जाता है. इंदिरा गांधी ने साल 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल लगया था. यदि किसी देश में आर्थिक आपातकाल लागू हो जाता है तो सभी कर्मचारियों की सैलरी और भत्तों में कटौती की जाने लगती है. यह कटौती कितनी होगी, ये भी सरकार ही तय करती है.



नमिता गोखले को 7वें यामिन हजारिका वुमन ऑफ सब्सटेंस अवार्ड से किया गया सम्मानित


लेखिका नमिता गोखले को सातवें यामिन हजारिका वुमन ऑफ सब्सटेंस अवार्ड के लिए चुना गया है। उन्हें हाल ही में एक आभासी समारोह में सम्मान से सम्मानित किया गया था। वह जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सह-संस्थापक और सह-निदेशक हैं, गोखले हिमालयन इकोज और कुमाऊं फेस्टिवल ऑफ लिटरेचर एंड द आर्ट्स का भी उल्लेख करती हैं।


पुरस्कार के बारे में:

यह पुरस्कार वर्ष 2015 से महिला पेशेवरों के एक समूह द्वारा आयोजित किया जा रहा है, यह वार्षिक पुरस्कार यामीन हजारिका को सम्मानित करता है, जो DANIPS के लिए चुनी जाने वाली पूर्वोत्तर भारत की पहली महिला है, जो एक संघीय पुलिस सेवा है जिसने 1977 में दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रशासित किया था।



जापान में घटती लोकप्रियता के कारण जल्द प्रधानमंत्री का पद छोड़ेगे योशिहिदे सुगा


जापानी प्रधान मंत्री योशीहिदे सुगा (Yoshihide Suga) ने COVID   -19 कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए तेजी से कार्रवाई ना करने और सार्वजनिक रूप से घटती लोकप्रियता के कारण एक साल के कार्यकाल के बाद जल्द अपना पद छोड़ेंगे। इससे पहले स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए पिछले साल सितंबर में शिंजो आबे के इस्तीफा देने के बाद पदभार संभालने वाले सुगा की समर्थन रेटिंग को 30% गिरावट आई है क्योंकि देश इस साल आम चुनाव से पहले COVID-19 संक्रमण की सबसे खराब लहर से जूझ रहा है।


सितंबर में सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के चुनाव में नहीं चलने के सुगा के फैसले का मतलब है कि पार्टी एक नया नेता चुनेगी, जो प्रधान मंत्री बनेगा।



हर्ष भूपेंद्र बंगारी बने EXIM बैंक के नए एमडी


केन्द्र सरकार ने हर्ष भूपेंद्र बंगारी (Harsha Bhupendra Bangari) को भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्जिम बैंक) का नया प्रबंध निदेशक (MD) नियुक्त किया है। इससे पहले बंगारी एक्जिम बैंक में उप प्रबंध निदेशक के पद पर तैनात थे। उन्हें तीन साल की अवधि के लिए या सरकार के अगले आदेश तक नियुक्त किया गया है। वह मौजूदा एमडी डेविड रसकिन्हा की जगह लेंगे, जिन्हें इससे पहले 20 जुलाई 2014 को पांच साल के लिए नियुक्त किया गया था।



वायु सेना प्रमुख ने हवाई में प्रशांत वायु सेना प्रमुख संगोष्ठी 2021 में लिया भाग


एयर चीफ मार्शल RKS भदौरिया ने हवाई में ज्वाइंट बेस पर्ल हार्बर-हिकम में तीन दिवसीय प्रशांत वायु सेना प्रमुख संगोष्ठी 2021 में भाग लिया। ''Enduring Cooperation towards Regional Stability'' थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के वायु सेना प्रमुखों ने भाग लिया। भदौरिया को संगोष्ठी के लिए डीन के रूप में नामित किया गया था।


भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और कई अन्य समान विचारधारा वाले देश एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। संगोष्ठी में पैनल चर्चा, टेबलटॉप अभ्यास और क्षेत्रीय सुरक्षा के पहलुओं से लेकर मानवीय और आपदा राहत कार्यों के लिए वायु सेना के बीच सहयोग तक के विषयों पर मुख्य भाषणों के माध्यम से विचार-विमर्श देखा गया।

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